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"उजड़ी-उजड़ी हुई हर आस लगे / जाँ निसार अख़्तर" के अवतरणों में अंतर

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उजड़ी-उजड़ी हुई हर आस लगे
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तू कि बहती हुई नदिया के समान
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फिर भी छूना उसे आसान नहीं
तुझको देखूँ तो मुझे प्यास लगे<br><br>
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वक़्त साया-सा कोई छोड़ गया
इतनी दूरी पे भी, जो पास लगे<br><br>
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वक़्त साया-सा कोई छोड़ गया<br>
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एक इक लहर किसी युग की कथा
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मुझको गंगा कोई इतिहास लगे
  
एक इक लहर किसी युग की कथा<br>
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शे’र-ओ-नग़्मे से ये वहशत तेरी
मुझको गंगा कोई इतिहास लगे<br><br>
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खुद तिरी रूह का इफ़्लास लगे  
 
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खुद तिरी रूह का इफ़्लास लगे <br>
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12:45, 19 अगस्त 2014 के समय का अवतरण

उजड़ी-उजड़ी हुई हर आस लगे
ज़िन्दगी राम का बनबास लगे

तू कि बहती हुई नदिया के समान
तुझको देखूँ तो मुझे प्यास लगे

फिर भी छूना उसे आसान नहीं
इतनी दूरी पे भी, जो पास लगे

वक़्त साया-सा कोई छोड़ गया
ये जो इक दर्द का एहसास लगे

एक इक लहर किसी युग की कथा
मुझको गंगा कोई इतिहास लगे

शे’र-ओ-नग़्मे से ये वहशत तेरी
खुद तिरी रूह का इफ़्लास लगे