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"सखी हम काह करैं कित जायं /भारतेंदु हरिश्चंद्र" के अवतरणों में अंतर

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सखी हम काह करैं कित जायं .
 
सखी हम काह करैं कित जायं .
 
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बिनु  देखे  वह  मोहिनी  मूरति नैना नाहिं अघायँ  
बिनु  देखे  वह  मोहिनी  मूरति नैना नाहिं अघायँ .
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बैठत उठत सयन सोवत निस चलत फिरत सब ठौर  
 
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नैनन तें  वह रूप  रसीलो  टरत न इक  पल और
बैठत उठत सयन सोवत निस चलत फिरत सब ठौर .
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सुमिरन वही ध्यान उनको हि मुख में उनको नाम  
 
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दूजी और नाहिं गति मेरी बिनु मोहन घनश्याम  
नैनन तें  वह रूप  रसीलो  टरत न इक  पल और.
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सब ब्रज बरजौ परिजन खीझौ हमरे तो अति प्रान  
 
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हरीचन्द हम मगन प्रेम-रस सूझत नाहिं न आन  
सुमिरन वही ध्यान उनको हि मुख में उनको नाम .
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दूजी और नाहिं गति मेरी बिनु मोहन घनश्याम .
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सब ब्रज बरजौ परिजन खीझौ हमरे तो अति प्रान .
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हरीचन्द हम मगन प्रेम-रस सूझत नाहिं न आन .
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11:30, 9 सितम्बर 2014 के समय का अवतरण

सखी हम काह करैं कित जायं .
बिनु देखे वह मोहिनी मूरति नैना नाहिं अघायँ
बैठत उठत सयन सोवत निस चलत फिरत सब ठौर
नैनन तें वह रूप रसीलो टरत न इक पल और
सुमिरन वही ध्यान उनको हि मुख में उनको नाम
दूजी और नाहिं गति मेरी बिनु मोहन घनश्याम
सब ब्रज बरजौ परिजन खीझौ हमरे तो अति प्रान
हरीचन्द हम मगन प्रेम-रस सूझत नाहिं न आन