"बाई जी / कुमार मुकुल" के अवतरणों में अंतर
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पडोस में लेटी पत्नी गुनगुना रही है | पडोस में लेटी पत्नी गुनगुना रही है | ||
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मेरी खिडकी के पूरब में महानगर खाली है | मेरी खिडकी के पूरब में महानगर खाली है | ||
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और रात्रि के आलस्य को बजाती | और रात्रि के आलस्य को बजाती | ||
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पूरबा आ रही है | पूरबा आ रही है | ||
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पत्नी गा रही है भजन घन घन घनन | पत्नी गा रही है भजन घन घन घनन | ||
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नुपूर कत बाजय हन हन ... | नुपूर कत बाजय हन हन ... | ||
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नाचने गाने की मनाही है घर में | नाचने गाने की मनाही है घर में | ||
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पर भजन पर नहीं घन घन घनन | पर भजन पर नहीं घन घन घनन | ||
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सब सिमटे आ रहे कमरे में | सब सिमटे आ रहे कमरे में | ||
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मां, भाई, बहनोई, बहन घन घन घनन | मां, भाई, बहनोई, बहन घन घन घनन | ||
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नुपूर बज रहे हैं कांप रही हैं दीवारें | नुपूर बज रहे हैं कांप रही हैं दीवारें | ||
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बज रहे हैं कपाट कहती है मां - कइसन भजन बा। | बज रहे हैं कपाट कहती है मां - कइसन भजन बा। | ||
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चुप रहते हैं पिता | चुप रहते हैं पिता | ||
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भाई गुनगुनाता है धुन को | भाई गुनगुनाता है धुन को | ||
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और सपने बुनने लगता है | और सपने बुनने लगता है | ||
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छोटी बहन खिलखिला रही है | छोटी बहन खिलखिला रही है | ||
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और निर्दोषिता से हंसती | और निर्दोषिता से हंसती | ||
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छोटे भाई को हिला रही है | छोटे भाई को हिला रही है | ||
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बडी बहन जमाई से आंखें मिला रही है | बडी बहन जमाई से आंखें मिला रही है | ||
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और पत्नी गा रही है | और पत्नी गा रही है | ||
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विद्यापति कवि ... पुूत्र बिसरू जनि माता ... | विद्यापति कवि ... पुूत्र बिसरू जनि माता ... | ||
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समाप्त होता है भजन | समाप्त होता है भजन | ||
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ताली बजाते हैं सब तड तड तड... बोलते हैं | ताली बजाते हैं सब तड तड तड... बोलते हैं | ||
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आप खूब गाती हैं बाई जी ...। | आप खूब गाती हैं बाई जी ...। | ||
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1992 | 1992 | ||
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23:37, 29 सितम्बर 2014 का अवतरण
पडोस में लेटी पत्नी गुनगुना रही है
मेरी खिडकी के पूरब में महानगर खाली है
और रात्रि के आलस्य को बजाती
पूरबा आ रही है
पत्नी गा रही है भजन घन घन घनन
नुपूर कत बाजय हन हन ...
नाचने गाने की मनाही है घर में
पर भजन पर नहीं घन घन घनन
सब सिमटे आ रहे कमरे में
मां, भाई, बहनोई, बहन घन घन घनन
नुपूर बज रहे हैं कांप रही हैं दीवारें
बज रहे हैं कपाट कहती है मां - कइसन भजन बा।
चुप रहते हैं पिता
भाई गुनगुनाता है धुन को
और सपने बुनने लगता है
छोटी बहन खिलखिला रही है
और निर्दोषिता से हंसती
छोटे भाई को हिला रही है
बडी बहन जमाई से आंखें मिला रही है
और पत्नी गा रही है
विद्यापति कवि ... पुूत्र बिसरू जनि माता ...
समाप्त होता है भजन
ताली बजाते हैं सब तड तड तड... बोलते हैं
आप खूब गाती हैं बाई जी ...।
1992