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"गुड़हल / कुमार मुकुल" के अवतरणों में अंतर

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('सांवले हरे पत्तों व सादे लाल फूलों के साथ घर-घर में ...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
 
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सांवले हरे पत्तों व सादे लाल फूलों के साथ
 
सांवले हरे पत्तों व सादे लाल फूलों के साथ
 
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घर-घर में विराजमान मैं गुडहुल हूं
घर-घर में विराजमान मैं गुडहुल हूं
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फिरंगियों के घर पैदा होता
 
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तो डेफोडिल सा मेरा भी प्यारा नाम होता
फिरंगियों के घर पैदा होता  
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जो बचाता बलि से मुझको
 
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पर यहां निर्गंध हूं इसीलिए भक्तों का प्यारा हूं
तो डेफोडिल सा मेरा भी प्यारा नाम होता
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मेरे पडोसी गेंदा-गुलाब
 
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टुक-टुक मेरा मुंह देखते रहते है
जो बचाता बलि से मुझको
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ओर मैं मुट्ठी का मुट्ठी चढा दिया जाता हूं
 
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पर यहां निर्गंध हूं इसीलिए भक्तों का प्यारा हूं
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मेरे पडोसी गेंदा-गुलाब  
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टुक-टुक मेरा मुंह देखते रहते है
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ओर मैं मुट्ठी का मुट्ठी चढा दिया जाता हूं
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पाथरों पर
 
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कोई जोडा मुझे बालों मे नहीं सजाता
 
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किसी की मेज की शोभा नहीं बढाता मैं
किसी की मेज की शोभा नहीं बढाता मैं
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कॉपी के सफों में सूखकर
 
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स्मृतियों में नहीं बदलतीं मेरी पुखुडियां
स्मृतियों में नहीं बदलतीं मेरी पुखुडियां
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हर सुबह
 
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यतीमों के मुख से छीने गये दूध के साथ
 
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मैं भी पत्थरों पर गिरता हूं
 
मैं भी पत्थरों पर गिरता हूं
 
 
और हर शाम
 
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उसी के साथ सडकर
 
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बुहार दिया जाता हूं ।
 
बुहार दिया जाता हूं ।
 
 
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00:33, 30 सितम्बर 2014 के समय का अवतरण

सांवले हरे पत्तों व सादे लाल फूलों के साथ
घर-घर में विराजमान मैं गुडहुल हूं
फिरंगियों के घर पैदा होता
तो डेफोडिल सा मेरा भी प्यारा नाम होता
जो बचाता बलि से मुझको
पर यहां निर्गंध हूं इसीलिए भक्तों का प्यारा हूं
मेरे पडोसी गेंदा-गुलाब
टुक-टुक मेरा मुंह देखते रहते है
ओर मैं मुट्ठी का मुट्ठी चढा दिया जाता हूं
पाथरों पर
कोई जोडा मुझे बालों मे नहीं सजाता
किसी की मेज की शोभा नहीं बढाता मैं
कॉपी के सफों में सूखकर
स्मृतियों में नहीं बदलतीं मेरी पुखुडियां

हर सुबह
यतीमों के मुख से छीने गये दूध के साथ
मैं भी पत्थरों पर गिरता हूं
और हर शाम
उसी के साथ सडकर
बुहार दिया जाता हूं ।
1996