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"हम क्‍या करें / कुमार मुकुल" के अवतरणों में अंतर

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(कि पागल प्रिय हैं हमें और बुद्धि‍मानों को हम सर नवाते हैं)
 
 
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परंपरा की लीद संभाले
 
परंपरा की लीद संभाले
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जो धंसे जा रहे और खुश हैं वो मूर्ख हैं
  
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यह मूर्खता सहन नहीं कर पा रहे जो
 
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पागल हैं वो
 
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मूर्खें और पागलों से अटा जो परिदृश्य है
 
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वह इतिहास है और बुद्धि‍मान
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हम क्या करें कि पागल प्रिय हैं हमें
 
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07:05, 30 सितम्बर 2014 के समय का अवतरण

परंपरा की लीद संभाले
जो धंसे जा रहे और खुश हैं वो मूर्ख हैं

यह मूर्खता सहन नहीं कर पा रहे जो
पागल हैं वो

मूर्खें और पागलों से अटा जो परिदृश्य है
वह इतिहास है और बुद्धि‍मान
मूर्खें और पागलों की टांगों के मध्य से
भाग रहे हैं भविष्य को

हम क्या करें कि पागल प्रिय हैं हमें
और बुद्धि‍मानों को हम सर नवाते हैं ।
1997