भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"शमशेर / कुमार मुकुल" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(सौंदर्यकामी आत्मा)
 
 
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
चिकनी धूल भरी बदली ज्यों शुष्क भुर-भुरी
+
{{KKGlobal}}
 
+
{{KKRachna
तलुए दो या छायाएं हृदय की
+
|रचनाकार=कुमार मुकुल
 
+
|अनुवादक=
कि दो विमान खो ... खो ... जाते बदली में
+
|संग्रह=परिदृश्य के भीतर / कुमार मुकुल
 
+
}}
कि ढलान गुरूत्व खि‍सकाता
+
{{KKCatKavita}}
 
+
<poem>
घाता धंस आता वक्ष रेतीला
+
चिकनी धूल भरी बदली ज्यों शुष्क भुर-भुरी
 
+
तलुए दो या छायाएं हृदय की
 +
कि दो विमान खो ... खो ... जाते बदली में
 +
कि ढलान गुरूत्व खि‍सकाता
 +
घाता धंस आता वक्ष रेतीला
 
थि‍रता ... आ तटी पर
 
थि‍रता ... आ तटी पर
 
+
धाराएं खि‍सकातीं तली
धाराएं खि‍सकातीं तली
+
भीरू मन छूता जल कांपता दो पल
 
+
छटपटाती चेतना की जीभ
भीरू मन छूता जल कांपता दो पल
+
अतहतह प्राण देते ढकेल धारा मध्य
 
+
सौंदर्यकामी आत्मा
छटपटाती चेतना की जीभ
+
 
+
अतहतह प्राण देते ढकेल धारा मध्य
+
 
+
सौंदर्यकामी आत्मा
+
 
+
 
देती उलीच
 
देती उलीच
 
+
सारा भय निरभय ।
सारा भय निरभय ।  
+
 
+
 
1991
 
1991
 +
</poem>

07:06, 30 सितम्बर 2014 के समय का अवतरण

चिकनी धूल भरी बदली ज्यों शुष्क भुर-भुरी
तलुए दो या छायाएं हृदय की
कि दो विमान खो ... खो ... जाते बदली में
कि ढलान गुरूत्व खि‍सकाता
घाता धंस आता वक्ष रेतीला
थि‍रता ... आ तटी पर
धाराएं खि‍सकातीं तली
भीरू मन छूता जल कांपता दो पल
छटपटाती चेतना की जीभ
अतहतह प्राण देते ढकेल धारा मध्य
सौंदर्यकामी आत्मा
देती उलीच
सारा भय निरभय ।
1991