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"गीत (इक सितारा) / कुमार मुकुल" के अवतरणों में अंतर
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इक सितारा टिमटिमाता रहा सारी रात | इक सितारा टिमटिमाता रहा सारी रात | ||
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वो सुलाता रहा और जगाता रहा | वो सुलाता रहा और जगाता रहा | ||
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पहलू में कभी, कभी आसमान पर | पहलू में कभी, कभी आसमान पर | ||
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वह उनींदे की लोरी सुनाता रहा। | वह उनींदे की लोरी सुनाता रहा। | ||
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इक ... | इक ... | ||
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रूप उसका समझ में क्या आए कभी | रूप उसका समझ में क्या आए कभी | ||
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रोशनी उसकी पल में आये-जाये कभी | रोशनी उसकी पल में आये-जाये कभी | ||
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खुशबू उसकी और उसके पैरहन | खुशबू उसकी और उसके पैरहन | ||
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सपनों से नींद में आता जाता रहा। | सपनों से नींद में आता जाता रहा। | ||
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इक ... | इक ... | ||
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रंग उसका और उसकी आवाज क्या | रंग उसका और उसकी आवाज क्या | ||
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लाऊं आखर में मैं उसके अंदाज क्या | लाऊं आखर में मैं उसके अंदाज क्या | ||
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रू-ब-रू उसके आंख खुलती नहीं | रू-ब-रू उसके आंख खुलती नहीं | ||
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भोर तक उस पे नजरें टिकाता रहा। | भोर तक उस पे नजरें टिकाता रहा। | ||
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इक ... | इक ... | ||
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पलकों पे शबनम की बूंदें हैं अब | पलकों पे शबनम की बूंदें हैं अब | ||
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और रंगत फलक की श्वेताभ है | और रंगत फलक की श्वेताभ है | ||
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सूर्य आएगा इनको भी ले जाएगा | सूर्य आएगा इनको भी ले जाएगा | ||
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मानी क्या मैं रोता या गाता रहा। | मानी क्या मैं रोता या गाता रहा। | ||
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इक ... | इक ... | ||
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07:16, 30 सितम्बर 2014 के समय का अवतरण
इक सितारा टिमटिमाता रहा सारी रात
वो सुलाता रहा और जगाता रहा
पहलू में कभी, कभी आसमान पर
वह उनींदे की लोरी सुनाता रहा।
इक ...
रूप उसका समझ में क्या आए कभी
रोशनी उसकी पल में आये-जाये कभी
खुशबू उसकी और उसके पैरहन
सपनों से नींद में आता जाता रहा।
इक ...
रंग उसका और उसकी आवाज क्या
लाऊं आखर में मैं उसके अंदाज क्या
रू-ब-रू उसके आंख खुलती नहीं
भोर तक उस पे नजरें टिकाता रहा।
इक ...
पलकों पे शबनम की बूंदें हैं अब
और रंगत फलक की श्वेताभ है
सूर्य आएगा इनको भी ले जाएगा
मानी क्या मैं रोता या गाता रहा।
इक ...
{1998- फैज के लिए }