भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"विज्ञापन की चकाचौंध / अवनीश सिंह चौहान" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अवनीश सिंह चौहान |संग्रह= }} {{KKCatNavgeet}} <Po...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
|||
पंक्ति 12: | पंक्ति 12: | ||
हम जिसका निर्माण करेंगे | हम जिसका निर्माण करेंगे | ||
तेरी वही जरूरत होगी | तेरी वही जरूरत होगी | ||
− | जस-जस सुरसा बदनु बढ़ावा | + | जस-जस सुरसा बदनु बढ़ावा |
तस-तस कपि की मूरत होगी | तस-तस कपि की मूरत होगी | ||
13:49, 30 अक्टूबर 2014 के समय का अवतरण
सुनो ध्यान से
कहता कोई
विज्ञापन के पर्चों से
हम जिसका निर्माण करेंगे
तेरी वही जरूरत होगी
जस-जस सुरसा बदनु बढ़ावा
तस-तस कपि की मूरत होगी
भस उड़ती हो
आँख भरी हो
लेकिन डर मत मिर्चों से
हमें न मंहगाई की चिंता
नहीं कि तुम हो भूखे-प्यासे
तुमको मतलब है चीजों से
मतलब हमको है पैसा से
पूरी तुम बाज़ार उठा लो
उबर न पाओ खर्चों से
बेटा, बेटी औ' पत्नी की
मांगों की आपूर्ति करोगे
चकाचोंध से विज्ञापन की
तुम सब आपस में झगड़ोगे
कार पड़ोसी के घर आई
बच न सकोगे चर्चों से