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"रूप बादल हुआ / राधेश्याम बन्धु" के अवतरणों में अंतर
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12:11, 18 नवम्बर 2014 के समय का अवतरण
रूप बादल हुआ
प्यार पागल हुआ
क्यों नदी घाट की प्यास बुझती नहीं
मेघ घिरते रहे कामना की तरह
हम तरसते रहे प्रार्थना की तरह
धैर्य बंधन हुआ
दर्द क्रंदन हुआ
क्यों सुखद नेह की बूँद झरती नहीं
सीपियाँ तन बदन मोरपंखी नयन
ढूँढती है किसे खुशबुओं की छुअन
नैन दपर्ण हुआ
अश्रु अंजन हुआ
क्यों हिरन की व्यथा रेत सुनती नहीं
धूप से छांव तक हम भटकते रहे
अजनबी की तरह घर में रहते रहे
मौन परिचय हुआ
क्रूर संशय हुआ
क्यो घुटन की किठन रात कटती नहीं