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"त्राहि त्राहि कर उठता जीवन / हरिवंशराय बच्चन" के अवतरणों में अंतर
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− | पंथी चलते-चलते थक कर, | + | पंथी चलते-चलते थक कर, |
− | बैठ किसी पथ के पत्थर पर | + | बैठ किसी पथ के पत्थर पर |
− | जब अपने ही थकित करों से अपना विथकित पांव दबाता, | + | जब अपने ही थकित करों से अपना विथकित पांव दबाता, |
त्राहि, त्राहि कर उठता जीवन! | त्राहि, त्राहि कर उठता जीवन! | ||
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09:32, 27 नवम्बर 2014 के समय का अवतरण
त्राहि, त्राहि कर उठता जीवन!
जब रजनी के सूने क्षण में,
तन-मन के एकाकीपन में
कवि अपनी विव्हल वाणी से अपना व्याकुल मन बहलाता,
त्राहि, त्राहि कर उठता जीवन!
जब उर की पीडा से रोकर,
फिर कुछ सोच समझ चुप होकर
विरही अपने ही हाथों से अपने आंसू पोंछ हटाता,
त्राहि, त्राहि कर उठता जीवन!
पंथी चलते-चलते थक कर,
बैठ किसी पथ के पत्थर पर
जब अपने ही थकित करों से अपना विथकित पांव दबाता,
त्राहि, त्राहि कर उठता जीवन!