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"साथी सो ना कर कुछ बात / हरिवंशराय बच्चन" के अवतरणों में अंतर

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12:22, 27 नवम्बर 2014 के समय का अवतरण

साथी सो न कर कुछ बात।

पूर्ण कर दे वह कहानी,
जो शुरू की थी सुनानी,
आदि जिसका हर निशा में,
अन्त चिर अज्ञात
साथी सो न कर कुछ बात।

बात करते सो गया तू,
स्वप्न में फिर खो गया तू,
रह गया मैं और
आधी रात आधी बात
साथी सो न कर कुछ बात।