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उम्र के छाले / जेन्नी शबनम

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|रचनाकार= जेन्नी शबनम
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[[Category:हाइकु]]
<poem>
1.
उम्र की भट्टी
अनुभव के भुट्टे
मैंने पकाए ।पकाए।
2.
जग ने दिया
सुकरात -सा विषमैंने जो पिया ।पिया।
3.
मैंने उबाले
इश्क़ की केतली में
उम्र के छाले ।छाले।
4.
मैंने जो देखा
अमावस का चाँद
तस्वीर खींची ।खींची।
5.
कौन अपना ?
मैंने कभी न जाना
वे मतलबी ।मतलबी।
6.
काँच से बना
फिर भी मैंने तोड़ा
अपना दिल ।दिल।
7.
फूल उगाना
मन की देहरी पे
मैंने न जाना ।जाना।
8.
कच्चे सपने
रोज़ उड़ाए मैंने
पास न डैने ।डैने।
9.
सपने पैने
ज़ख़्म देते गहरे,
मैंने ही छोड़े ।छोड़े।
10.
नहीं जलाया
मैंने प्रीत का चूल्हा
ज़िन्दगी सीली ।सीली।
11.
मैंने जी लिया
जाने किसका हिस्सा
कर्ज़ का किस्सा ।किस्सा।
12.
मैंने ही बोई
तजुर्बों की फ़सलें
मैंने ही काटी ।काटी।</poem>