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"व्यर्थ हो गया / किशोर काबरा" के अवतरणों में अंतर

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दृष्टि नहीं तो दर्पण का सुख व्यर्थ हो गया।
 
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कृष्ण नहीं तो मधुबन का सुख व्यर्थ हो गया।
 
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कौन पी गया कुंभज बन कर खारा सागर?
 
कौन पी गया कुंभज बन कर खारा सागर?
 
 
अश्रु नहीं तो बिरहन का सुख व्यर्थ हो गया।
 
अश्रु नहीं तो बिरहन का सुख व्यर्थ हो गया।
 
 
  
 
ऑंगन में हो तरह-तरह के खेल-खिलौने,
 
ऑंगन में हो तरह-तरह के खेल-खिलौने,
 
 
हास्य नहीं तो बचपन का सुख व्यर्थ हो गया।
 
हास्य नहीं तो बचपन का सुख व्यर्थ हो गया।
 
 
  
 
भले रात में कण-कण करके मोती बरसें,
 
भले रात में कण-कण करके मोती बरसें,
 
 
भोर नहीं तो शबनम का सुख व्यर्थ हो गया।
 
भोर नहीं तो शबनम का सुख व्यर्थ हो गया।
 
 
  
 
गीत बना लो, गुनगुन कर लो, सुर में गा लो,
 
गीत बना लो, गुनगुन कर लो, सुर में गा लो,
 
 
ताल नहीं तो सरगम का सुख व्यर्थ हो गया।
 
ताल नहीं तो सरगम का सुख व्यर्थ हो गया।
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15:48, 4 दिसम्बर 2014 के समय का अवतरण

दृष्टि नहीं तो दर्पण का सुख व्यर्थ हो गया।
कृष्ण नहीं तो मधुबन का सुख व्यर्थ हो गया।

कौन पी गया कुंभज बन कर खारा सागर?
अश्रु नहीं तो बिरहन का सुख व्यर्थ हो गया।

ऑंगन में हो तरह-तरह के खेल-खिलौने,
हास्य नहीं तो बचपन का सुख व्यर्थ हो गया।

भले रात में कण-कण करके मोती बरसें,
भोर नहीं तो शबनम का सुख व्यर्थ हो गया।

गीत बना लो, गुनगुन कर लो, सुर में गा लो,
ताल नहीं तो सरगम का सुख व्यर्थ हो गया।