"हम सबका अभिमान है / राजेन्द्र प्रसाद शुक्ल" के अवतरणों में अंतर
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सतत प्रवाह हमारा है, | सतत प्रवाह हमारा है, | ||
छत्तीसगढ की माटी का, | छत्तीसगढ की माटी का, | ||
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भोरमदेव, सरगुजा, शिवरी | भोरमदेव, सरगुजा, शिवरी | ||
रतनपुर,मल्हार,यहीं | रतनपुर,मल्हार,यहीं | ||
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अमर काव्य श्रृंगार यहीं | अमर काव्य श्रृंगार यहीं | ||
धरती गगन सघन बन गँूजे | धरती गगन सघन बन गँूजे | ||
− | जीवन कर नवगान है | + | जीवन कर नवगान है... |
शस्य श्यामला धरती है. | शस्य श्यामला धरती है. | ||
खेतों में हरियाली है, | खेतों में हरियाली है, | ||
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लोक शक्ति की लाली है, | लोक शक्ति की लाली है, | ||
जाग उठे हैं गाँव हमारे | जाग उठे हैं गाँव हमारे | ||
− | जागे सभी किसान हैं | + | जागे सभी किसान हैं... |
ज्ञान सभ्यता से आलोकित | ज्ञान सभ्यता से आलोकित | ||
विद्वत् जन सम्मान यहाँ | विद्वत् जन सम्मान यहाँ | ||
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बख्शी जी अरू भानु यहाँ | बख्शी जी अरू भानु यहाँ | ||
राव, विप्र, रविशंकर, छेदी, | राव, विप्र, रविशंकर, छेदी, | ||
− | कुंवर वीर का गान है | + | कुंवर वीर का गान है... |
मानव मूल्यों का सृजन करें हम, | मानव मूल्यों का सृजन करें हम, | ||
समता, ममता, शांति भरे, | समता, ममता, शांति भरे, | ||
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सुख-संमृद्धि सर्वत्र झरे, | सुख-संमृद्धि सर्वत्र झरे, | ||
विद्या-मंदिर के प्रांगण से, | विद्या-मंदिर के प्रांगण से, | ||
− | नवयुग का अभियान है | + | नवयुग का अभियान है... |
− | गुरू कृपा के पुण्य परस से | + | गुरू कृपा के पुण्य परस से... |
'''नोटः- यह गीत गुरू घासीदास केन्द्रीय विश्वविद्यालय, बिलासपुर, छत्तीसगढ़ में ’कुलगीत’ के रूप में गाया जाता है।''' | '''नोटः- यह गीत गुरू घासीदास केन्द्रीय विश्वविद्यालय, बिलासपुर, छत्तीसगढ़ में ’कुलगीत’ के रूप में गाया जाता है।''' | ||
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16:34, 8 दिसम्बर 2014 के समय का अवतरण
गुरू कृपा के पुण्य परस से
विद्या का वरदान है,
घासीदास विश्वविद्यालय,
हम सबका अभिमान है।
महानदी, शिवनाथ, नर्मदा
हसदो पावन धारा है,
अंतः सलिला अरपा का,
सतत प्रवाह हमारा है,
छत्तीसगढ की माटी का,
यह अभिषेक महान् है...
भोरमदेव, सरगुजा, शिवरी
रतनपुर,मल्हार,यहीं
कालीदास का आम्रकूट है,
अमर काव्य श्रृंगार यहीं
धरती गगन सघन बन गँूजे
जीवन कर नवगान है...
शस्य श्यामला धरती है.
खेतों में हरियाली है,
नये भागीरथ कोरबा जैसी,
लोक शक्ति की लाली है,
जाग उठे हैं गाँव हमारे
जागे सभी किसान हैं...
ज्ञान सभ्यता से आलोकित
विद्वत् जन सम्मान यहाँ
माधव, लोचन, मुकुटधर पाण्डेय,
बख्शी जी अरू भानु यहाँ
राव, विप्र, रविशंकर, छेदी,
कुंवर वीर का गान है...
मानव मूल्यों का सृजन करें हम,
समता, ममता, शांति भरे,
हर्षित,पुलकित हो भारत माँ,
सुख-संमृद्धि सर्वत्र झरे,
विद्या-मंदिर के प्रांगण से,
नवयुग का अभियान है...
गुरू कृपा के पुण्य परस से...
नोटः- यह गीत गुरू घासीदास केन्द्रीय विश्वविद्यालय, बिलासपुर, छत्तीसगढ़ में ’कुलगीत’ के रूप में गाया जाता है।