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"सह जाओ आघात प्राण, नीरव सह जाओ / त्रिलोचन" के अवतरणों में अंतर
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+ | एकाकी। असहाय अश्रु में मत बह जाओ। | ||
− | + | यह अनंत आकाश तुम्हे यदि कण जानेगा | |
− | + | तो अपना आसन्य तुम्हे कितने दिन देगा | |
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− | कोई नि:स्वक प्राण, तेज के कण गिन देगा | + | |
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11:15, 9 दिसम्बर 2014 के समय का अवतरण
सह जाओ आघात प्राण, नीरव सह जाओ
इसी तरह पाषाण अद्रि से गिरा करेंगे
कोमल-कोमल जीव सर्वदा घिरा करेंगे
कुचल जाएंगे और जाएंगे। मत रह जाओ
आश्रय सुख में लीन। उठो। उठ कर कह जाओ
प्राणों के संदेश, नहीं तो फिरा करेंगे
अन्य प्राण उद्विग्न, विपज्जल तिरा करेंगे
एकाकी। असहाय अश्रु में मत बह जाओ।
यह अनंत आकाश तुम्हे यदि कण जानेगा
तो अपना आसन्य तुम्हे कितने दिन देगा
यह वसुधा भी खिन्न दिखेगी, क्षण जानेगा
कोई नि:स्वक प्राण, तेज के कण गिन देगा
गणकों का संदोह, देह व्रण जानेगा
और शून्य प्रासाद बनाएगा चिन देगा