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"सोहबत / मुत्तुलक्ष्मी" के अवतरणों में अंतर

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ध्वनियों को संजोए रखे  
 
ध्वनियों को संजोए रखे  

11:33, 2 जनवरी 2015 के समय का अवतरण

प्रकाश को ऊपर से रोक
ध्वनियों को संजोए रखे
वन के वादे पर भरोसा करके
घोसला बनाया मैं ने |

कभी कभार लग जाती
जंगली आग को
स्वयं वन
घनघोर बारिश की मदद से
बुझाकर
अमय देता |

अँधेरे के संग
नीरवता व्याप्त रही
ऐसे अमन चैन के माहौल में
खुद अपनी धार को परखती
छैनी की आवाज के साथ
लालच
जंगल के बाहर
खीचता रहता है ध्यान |

अनुवाद डॉ. एच. बालसुब्रहमण्यम‌