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"प्रथम सकल सुचि मज्जन अमल बास / केशवदास" के अवतरणों में अंतर

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प्रथम सकल सुचि मज्जन अमल बास,
कज्जल कलित लोल लोचन निहारिबौ॥<br>
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बोलनि हँसनि मृदु चाकरी, चितौनि चार,<br>
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पल प्रति पर प्रतिबत परिपालिबौ।<br>
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बोलनि हँसनि मृदु चाकरी, चितौनि चार,
इहि बिधि सोरहै सिंगारनि सिंगारिबौ॥
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पल प्रति पर प्रतिबत परिपालिबौ।
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इहि बिधि सोरहै सिंगारनि सिंगारिबौ॥</poem>

10:41, 15 जनवरी 2015 के समय का अवतरण

प्रथम सकल सुचि मज्जन अमल बास,
जावक सुदेस केस-पास को सम्हारिबौ।
अंगराज भूषन बिबिध मुखबास-राग,
कज्जल कलित लोल लोचन निहारिबौ॥
बोलनि हँसनि मृदु चाकरी, चितौनि चार,
पल प्रति पर प्रतिबत परिपालिबौ।
'केसोदास' सबिलास करहु कुँवरि राधे,
इहि बिधि सोरहै सिंगारनि सिंगारिबौ॥