"तुम्हारी स्मृतियों के हरे भरे जंगल में / आयुष झा आस्तीक" के अवतरणों में अंतर
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वैसे भी मैं | वैसे भी मैं | ||
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विचरना पसंद है मुझे | विचरना पसंद है मुझे | ||
खानाबदोश की तरह। | खानाबदोश की तरह। | ||
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इंतजार लिखते हुए। | इंतजार लिखते हुए। | ||
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सँभलती लड़खड़ाती हुई | सँभलती लड़खड़ाती हुई | ||
इंतजार को मिटाती हुई | इंतजार को मिटाती हुई | ||
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शाम को गिलहरियों में | शाम को गिलहरियों में | ||
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जब रोज मुरझाने लगता हूँ मैं | जब रोज मुरझाने लगता हूँ मैं | ||
वृक्षों पर इंतजार लिखते हुए। | वृक्षों पर इंतजार लिखते हुए। | ||
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हरे भरे जंगल में विचरते हुए। | हरे भरे जंगल में विचरते हुए। | ||
मैं देखता हूँ आसमान से | मैं देखता हूँ आसमान से | ||
− | + | गिलहरियों को बरसते हुए .. | |
मैं देखता हूँ बारिश में | मैं देखता हूँ बारिश में | ||
एक नदी को सिहरते हुए .... | एक नदी को सिहरते हुए .... | ||
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15:49, 20 जनवरी 2015 के समय का अवतरण
तुम्हारी स्मृतियों के
हरे भरे जंगल में भुतला कर
बौखते रहना पसंद है मुझे।
वैसे भी मैं
स्वाभाव से घुमक्कड़ हूँ
विचरना पसंद है मुझे
खानाबदोश की तरह।
इस जंगल में जहाँ से मैंने
चलना शुरू किया था
शाम को पुनः लौट आता हूँ मैं
वहीं उसी जगह
घूमते भटकते वृक्षों पर
इंतजार लिखते हुए।
मेरे पद चिह्नों पर
सँभलती लड़खड़ाती हुई
इंतजार को मिटाती हुई
एक बरसाती नदी
रात भर
तैरना सिखलाती
रहती है मुझे...
जो रोज सुबह मर जाती है
मेरे वियोग में छटपटाते हुए
जीवित होती है वह
पुनः सूरज ढलने के बाद
जब लौटने लगता हूँ मैं
शाम को गिलहरियों में
चिट्ठियां बाँट कर ...
जब रोज मुरझाने लगता हूँ मैं
वृक्षों पर इंतजार लिखते हुए।
तंग आ गया हूँ मैं
इस डैयनयहवी नदी से
जो मर कर भी
नही मरती है कभी
तैरना सिखलाती रहती है
यह मुझे तुम्हारा वास्ता देकर।
देखो!
नही सीखना है मुझे तैराकी
नही बनना है मुझे गोताखोर।
मैं डुबकियाँ लगाता तो हूँ
हाँ मैं गर लगाता
भी हूँ डुबकियां!
तो सिर्फ डूबना और
हाँ बस डूब जाना ही
महज उद्देश्य है मेरा...
सुनो!!
दरअसल मैं डूब कर
पहुँचना चाहता हूँ तुम तक
वहाँ मैं पहुँच कर
डूबना चाहता हूँ
तुम्हारी आँखों में ...
मैं चूमना चाहता हूँ
गिलहरियों को
वो गिलहरियां जो
फुदकती रहती है
तुम्हारी पिपनीयों पर
इंतजार को कुतरते हुए।
तुम्हारी स्मृतियों के
हरे भरे जंगल में विचरते हुए।
मैं देखता हूँ आसमान से
गिलहरियों को बरसते हुए ..
मैं देखता हूँ बारिश में
एक नदी को सिहरते हुए ....