भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"पानड़ पानड़ दिया बलऽ / निमाड़ी" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKLokRachna |रचनाकार=अज्ञात }} {{KKLokGeetBhaashaSoochi |भाषा=निमाड़ी }...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

19:56, 21 जनवरी 2015 के समय का अवतरण

   ♦   रचनाकार: अज्ञात

पानड़ पानड़ दिया बलऽ,
थारा दिवलड़ा की लागी जागजोत रे,
आज म्हारा घर ओंकार देव पावणो।
ओंकार देव की मैया पूछऽ वातूली,
तू खऽ आज कूणऽ निवत्यो पूत रे,
आज म्हारा घर ओंकार देव पावणो।
मखऽ निवत्यो छे, अमुक भाई की माय,
जिमाड़्या छे दही अरू भात रे।
आज म्हारा घर ओंकार देव पावणो।