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"सेर का सो गया हलवाई रे / मालवी" के अवतरणों में अंतर
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+ | आम पर केरी लग रई रे | ||
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+ | गुड़का चढ़ गया भाव | ||
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+ | जलेबी मैदा की भावे | ||
+ | गोरी जोवे वाट भंवरजी मेलां कब आवे | ||
+ | पांव सारू बिछिया घड़ाव जोगी | ||
+ | कि अनवट रतन जड़ाव | ||
+ | भंवरजी अनवट रतन जड़ाव | ||
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18:56, 30 जनवरी 2015 का अवतरण
♦ रचनाकार: अज्ञात
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सेर का सो गया हलवाई रे
नगर का सो गया हलवाई
अब मैं लाचार कलाकंद लाया हूँ गोरी
पांव सारू बिछिया घड़ाव जोजी
म्हारा अनवट रतन जड़ाव
आम पर केरी लग रई रे
आम पर केरी लग रई रे
गुड़का चढ़ गया भाव
सकर तो मेंगी हो गई रे
कलाकंद आम्बा को भावे रे
जलेबी मैदा की भावे
गोरी जोवे वाट भंवरजी मेलां कब आवे
पांव सारू बिछिया घड़ाव जोगी
कि अनवट रतन जड़ाव
भंवरजी अनवट रतन जड़ाव