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"मौत को पढ़ रही है ज़िन्दगी / केदारनाथ अग्रवाल" के अवतरणों में अंतर

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कर्ज़ का जाज बजा कर
 
कर्ज़ का जाज बजा कर

21:41, 9 जनवरी 2008 का अवतरण




मौत को पढ़ रही है ज़िन्दगी

जो मर गई है

अमरीकी अनाज पा कर

कर्ज़ का जाज बजा कर


(रचनाकाल : 19.10.1967)