भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"गांव ही रैवै / संजय आचार्य वरुण" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=संजय आचार्य वरुण |अनुवादक= |संग्र...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
23:15, 25 फ़रवरी 2015 के समय का अवतरण
राम करै
म्हारौ गांव
गांव ही रैवै।
खेतां में धान रैवै
ममता रौ मान रैवै
अलगूंजा गूंजै तो
होठां में तान रैवै।
बापू री ग्वाड़ी रौ
पंचां में मान रैवै
राम करै
म्हारौ गांव
गांव रैवै।
गरवल सी भाभी
ईसर रा भैया
बाखळ में बैल भैंस
ऊँट और गैया
जूठ री दुपहरियां मं
पीपळ री छांव रैवै
राम करै
म्हारौ गांव
गांव रैवै।