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<div style="font-size:120%; color:#a00000; text-align: center;">
किसका नारा, कैसा कौल, अल्लाह बोल
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खुले तुम्हारे लिए हृदय के द्वार</div>
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<div style="text-align: center;">
रचनाकार: [[राहत इन्दौरी]]
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रचनाकार: [[त्रिलोचन]]
 
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<div style="background: #fff; border: 1px solid #ccc; box-shadow: 0 0 10px #ccc inset; font-size: 16px; margin: 0 auto; padding: 0 20px; white-space: pre;">
किसका नारा, कैसा कौल, अल्लाह बोल
+
खुले तुम्हारे लिए हृदय के द्वार
अभी बदलता है माहौल, अल्लाह बोल
+
अपरिचित पास आओ
  
कैसे साथी, कैसे यार, सब मक्कार
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आँखों में सशंक जिज्ञासा
सबकी नीयत डाँवाडोल, अल्लाह बोल
+
मिक्ति कहाँ, है अभी कुहासा
 +
जहाँ खड़े हैं, पाँव जड़े हैं
 +
स्तम्भ शेष भय की परिभाषा
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हिलो-मिलो फिर एक डाल के
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खिलो फूल-से, मत अलगाओ
  
जैसा गाहक, वैसा माल, देकर ताल
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सबमें अपनेपन की माया
कागज़ में अंगारे तोल, अल्लाह बोल
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अपने पन में जीवन आया
 
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हर पत्थर के सामने रख दे आइना
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नोच ले हर चेहरे का खोल, अल्लाह बोल
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दलालों से नाता तोड़, सबको छोड़
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भेज कमीनों पर लाहौल, अल्लाह बोल
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इन्सानों से इन्सानों तक एक सदा
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क्या तातारी, क्या मंगोल, अल्लाह बोल
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शाख-ए-सहर पे महके फूल अज़ानों के
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फेंक रजाई, आँखें खोल, अल्लाह बोल
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19:38, 7 मार्च 2015 के समय का अवतरण

खुले तुम्हारे लिए हृदय के द्वार

रचनाकार: त्रिलोचन

खुले तुम्हारे लिए हृदय के द्वार अपरिचित पास आओ

आँखों में सशंक जिज्ञासा मिक्ति कहाँ, है अभी कुहासा जहाँ खड़े हैं, पाँव जड़े हैं स्तम्भ शेष भय की परिभाषा हिलो-मिलो फिर एक डाल के खिलो फूल-से, मत अलगाओ

सबमें अपनेपन की माया अपने पन में जीवन आया