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<div style="background:#dddtransparent; width:95%; height:450px; overflow:auto; border:3px 0px inset #aaa; padding:10px">
<div style="font-size:120%; color:#a00000; text-align: center;">किसका नारा, कैसा कौल, अल्लाह बोलखुले तुम्हारे लिए हृदय के द्वार</div>
<divstyle="text-align: center;">रचनाकार: [[राहत इन्दौरीत्रिलोचन]]
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<poemdiv style="background: #fff; border: 1px solid #ccc; box-shadow: 0 0 10px #ccc inset; font-size: 16px; margin: 0 auto; padding: 0 20px; white-space: pre;">किसका नारा, कैसा कौल, अल्लाह बोलखुले तुम्हारे लिए हृदय के द्वारअभी बदलता है माहौल, अल्लाह बोलअपरिचित पास आओ
कैसे साथीआँखों में सशंक जिज्ञासामिक्ति कहाँ, कैसे यारहै अभी कुहासाजहाँ खड़े हैं, सब मक्कारपाँव जड़े हैंस्तम्भ शेष भय की परिभाषाहिलो-मिलो फिर एक डाल केसबकी नीयत डाँवाडोलखिलो फूल-से, अल्लाह बोलमत अलगाओ
जैसा गाहक, वैसा माल, देकर तालसबमें अपनेपन की मायाकागज़ अपने पन में अंगारे तोल, अल्लाह बोल हर पत्थर के सामने रख दे आइनानोच ले हर चेहरे का खोल, अल्लाह बोल दलालों से नाता तोड़, सबको छोड़भेज कमीनों पर लाहौल, अल्लाह बोल इन्सानों से इन्सानों तक एक सदाक्या तातारी, क्या मंगोल, अल्लाह बोल शाख-ए-सहर पे महके फूल अज़ानों केफेंक रजाई, आँखें खोल, अल्लाह बोल जीवन आया </poemdiv>
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