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<div style="background:#dddtransparent; width:95%; height:450px; overflow:auto; border:3px 0px inset #aaa; padding:10px">
<div style="font-size:120%; color:#a00000; text-align: center;">समूहगानखुले तुम्हारे लिए हृदय के द्वार</div>
<divstyle="text-align: center;">रचनाकार: [[शैलेन्द्रत्रिलोचन]]
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<poemdiv style="background: #fff; border: 1px solid #ccc; box-shadow: 0 0 10px #ccc inset; font-size: 16px; margin: 0 auto; padding: 0 20px; white-space: pre;">क्रान्ति खुले तुम्हारे लिए हृदय के लिए जली मशालद्वारक्रान्ति के लिए उठे क़दम !अपरिचित पास आओ
भूख के विरुद्ध भात के लिएआँखों में सशंक जिज्ञासारात के विरुद्ध प्रात के लिएमिक्ति कहाँ, है अभी कुहासाजहाँ खड़े हैं, पाँव जड़े हैंस्तम्भ शेष भय की परिभाषामेहनती ग़रीब जाति हिलो-मिलो फिर एक डाल के लिएहम लड़ेंगेखिलो फूल-से, हमने ली कसम !मत अलगाओ
छिन रही हैं आदमी सबमें अपनेपन की रोटियाँमायाबिक रही हैं आदमी की बोटियाँकिन्तु सेठ भर रहे हैं कोठियाँलूट का यह राज हो ख़तम ! तय है जय मजूर की, किसान कीदेश की, जहान की, अवाम कीख़ून से रंगे हुए निशान कीलिख रही है मार्क्स की क़लम ! अपने पन में जीवन आया </poemdiv>
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