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<div style="font-size:120%; color:#a00000; text-align: center;">
मुबारक़ हो नया साल</div>
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खुले तुम्हारे लिए हृदय के द्वार</div>
  
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<div style="text-align: center;">
रचनाकार: [[नागार्जुन]]
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रचनाकार: [[त्रिलोचन]]
 
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<div style="background: #fff; border: 1px solid #ccc; box-shadow: 0 0 10px #ccc inset; font-size: 16px; margin: 0 auto; padding: 0 20px; white-space: pre;">
फलाँ-फलाँ इलाके में पड़ा है अकाल
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खुले तुम्हारे लिए हृदय के द्वार
खुसुर-पुसुर करते हैं, खुश हैं बनिया-बकाल
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अपरिचित पास आओ
छ्लकती ही रहेगी हमदर्दी साँझ-सकाल
+
अनाज रहेगा खत्तियों में बन्द !
+
  
हड्डियों के ढेर पर है सफ़ेद ऊन की शाल...
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आँखों में सशंक जिज्ञासा
अब के भी बैलों की ही गलेगी दाल !
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मिक्ति कहाँ, है अभी कुहासा
पाटिल-रेड्डी-घोष बजाएँगे गाल...
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जहाँ खड़े हैं, पाँव जड़े हैं
थामेंगे डालरी कमन्द !
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स्तम्भ शेष भय की परिभाषा
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हिलो-मिलो फिर एक डाल के
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खिलो फूल-से, मत अलगाओ
  
बत्तख हों, बगले हों, मेंढक हों, मराल
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सबमें अपनेपन की माया
पूछिए चलकर वोटरों से मिजाज का हाल
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अपने पन में जीवन आया
मिला टिकट ? आपको मुबारक हो नया साल
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अब तो बाँटिए मित्रों में कलाकन्द !
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19:38, 7 मार्च 2015 के समय का अवतरण

खुले तुम्हारे लिए हृदय के द्वार

रचनाकार: त्रिलोचन

खुले तुम्हारे लिए हृदय के द्वार अपरिचित पास आओ

आँखों में सशंक जिज्ञासा मिक्ति कहाँ, है अभी कुहासा जहाँ खड़े हैं, पाँव जड़े हैं स्तम्भ शेष भय की परिभाषा हिलो-मिलो फिर एक डाल के खिलो फूल-से, मत अलगाओ

सबमें अपनेपन की माया अपने पन में जीवन आया