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बघेली लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
सावन लागो रे मन भावन
हां हां सावन लागो रे मन भावन
कि काटी दूब हरिआय
विरना लेवउवा अरे आये ना
घर डोली राख्यों सजाय
हुर जहा हा हा