भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"नेक आचरन मनुष्य के दफन भइल / सूर्यदेव पाठक 'पराग'" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सूर्यदेव पाठक 'पराग' |संग्रह= }} {{KKCatBho...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
12:41, 30 मार्च 2015 का अवतरण
नेक आचरन मनुष्य के दफन भइल
साधु-संत तक के लक्ष्य आज धन भइल
राम के कथा सुनत कटल ई जिन्दगी
दानवी विचार से अलग ना मन भइल
भोग-रोग से तमाम लोग त्रस्त बा
कर्मयोग-साधना-विपन्न तन भइल
देखते उमिर सिरा गइल गवें-गवें
काम क्रोध लोभ के कहाँ शमन भइल
लोकहित में त्याग के गइल शरीर जे
गीत यश के गावते गगन मगन