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16:51, 5 अप्रैल 2015 के समय का अवतरण
सूरज कहता नहीं किसी से,
मैं प्रकाश फैलाता हूँ।
बादल कहता नहीं किसी से,
मैं पानी बरसाता हूँ।
आंधी कहती नहीं किसी से,
मैं आफत ढा लेती हूँ।
कोयल कहती नहीं किसी से,
मैं अच्छा गा लेती हूँ।
बातों से न, किन्तु कामों से,
होती है सबकी पहचान।
घूरे पर भी नाच दिखा कर,
मोर झटक लेता है मान।