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"ई अदरा कें मेघ ने मानत / नरेश कुमार विकल" के अवतरणों में अंतर

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23:07, 22 अप्रैल 2015 के समय का अवतरण

आइ चतुर्थीक राति मे कनियाँ
कानि रहलि छै कोहबर मे।
भरल सीमन्त सिनुर सुहागक
बनल अभागलि कोहबर मे।

फूटि गेलै आहिबाक पातिल
रूसि गेलाह पहु हमर किऐ ?
कोना जुड़ाएत दग्धल छाती ?
सोचि रहलि छी कोहबर मे।

हमरे आँखिक छाहरि तर मे
रभसय सौतिन कें संग मे
अप्पन सप्पत डाह ने होइयै
देखि कऽ अनका कोहबर मे।

सऽख-सेहन्ता सभ कें होइछै
हमरो केओ श्रृंगार देखय
आहार देखय, व्यवहार देखय
आ विचार देखय केओ कोहबर मे।

टिकुली नहि साटल बिजुरी थिक
चमकल सबहक आँगन मे
आब ने सीता चुप भऽ बैसतीह
ककरो बुत्त कोहबर मे।

टेभीक घघरा उठल गगन र
घेरि लेलक घनघोर घटा
ई अदरा कें मेघ ने मानत
रहत बरसिकऽ कोहबर मे।