''आजकल कोश पर क्या कर रहा हूँ?''
आजकल, बकौल जनविजय जी, मुक्तिबोध को बिना पूछे चांद का मुँह टेढ़ा कुछ नहीं कर रहा हूँ। असल रहा। एक साल के लिए सब बंद। इस एक साल में आजकल अज्ञेयकी 'कितनी नावों भी अगर इम्तिहान में कितनी बार' टाइप कर रहा हूँ, उसे लायब्रेरी को लौटाने की जल्दी है। बाद में मुक्तिबोधकी किताब पूरी करूँगा।(उम्मीद करता हूँ, बल्कि मेरा इस तआरुफ़ को लिखने का इरादा भी यही है, कि अब दूसरे सदस्य मेरे फ़ेल हो गया तो हमेशा के लिए'जी' या 'आप' शब्द का इस्तेमाल नहीं करेंगे।) ==मजाज़ लखनवी==त्रुटि सुधार के लिये बहुत शुक्रिया, सुमित । आपका दिया गया सुझाव स्वीकार कर लिया गया है। '''बंद। मम्मा-पापा ने रोक लगा दी। माफी चाहूँगा।--[[सदस्य:Lalit KumarSumitkumar kataria|Lalit Kumarसुमितकुमार कटारिया]] २०([[सदस्य वार्ता:Sumitkumar kataria|वार्ता]]) १४:४८५४, १८ फरवरी ७ मई २००८ (UTC)'''