भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"नदी के उस पार तुम / ठाकुरप्रसाद सिंह" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) (New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=ठाकुरप्रसाद सिंह |संग्रह=वंशी और मादल / ठाकुरप्रसाद स...) |
Sharda suman (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 4: | पंक्ति 4: | ||
|संग्रह=वंशी और मादल / ठाकुरप्रसाद सिंह | |संग्रह=वंशी और मादल / ठाकुरप्रसाद सिंह | ||
}} | }} | ||
− | + | <poem> | |
नदी के उस पार तुम, इस पार हम | नदी के उस पार तुम, इस पार हम | ||
− | |||
छोड़ो, विदा दो | छोड़ो, विदा दो | ||
− | |||
नहीं सम्भव है कि हम-तुम एक तट | नहीं सम्भव है कि हम-तुम एक तट | ||
− | |||
पर हों, विदा दो | पर हों, विदा दो | ||
− | |||
तनिक आँचल खोलकर स्मृति का | तनिक आँचल खोलकर स्मृति का | ||
− | |||
करो स्वीकार माला, मुद्रिका या | करो स्वीकार माला, मुद्रिका या | ||
− | |||
याद इससे ही करोगी आज की सरि | याद इससे ही करोगी आज की सरि | ||
− | |||
चन्द्रिका या | चन्द्रिका या | ||
− | |||
चांदनी का तीर मावस का हृदय | चांदनी का तीर मावस का हृदय | ||
− | |||
जैसे भिदा हो | जैसे भिदा हो | ||
− | |||
विदा दो | विदा दो | ||
− | + | वही मान्दोली<ref>गले का आभूषण</ref> मुझे दो | |
− | वही मान्दोली मुझे दो | + | |
− | + | ||
मैं अवश हूँ धड़कनों से | मैं अवश हूँ धड़कनों से | ||
− | |||
यह बनेगी प्यार की थपकी | यह बनेगी प्यार की थपकी | ||
− | |||
मुझे पागल क्षणों में | मुझे पागल क्षणों में | ||
− | |||
स्वप्न-सा जीवन मिला दु:स्वप्न-सा | स्वप्न-सा जीवन मिला दु:स्वप्न-सा | ||
− | |||
उसको बिता दो | उसको बिता दो | ||
− | + | </poem> | |
− | + | ||
− | + | ||
− | + |
13:08, 1 जून 2015 का अवतरण
नदी के उस पार तुम, इस पार हम
छोड़ो, विदा दो
नहीं सम्भव है कि हम-तुम एक तट
पर हों, विदा दो
तनिक आँचल खोलकर स्मृति का
करो स्वीकार माला, मुद्रिका या
याद इससे ही करोगी आज की सरि
चन्द्रिका या
चांदनी का तीर मावस का हृदय
जैसे भिदा हो
विदा दो
वही मान्दोली<ref>गले का आभूषण</ref> मुझे दो
मैं अवश हूँ धड़कनों से
यह बनेगी प्यार की थपकी
मुझे पागल क्षणों में
स्वप्न-सा जीवन मिला दु:स्वप्न-सा
उसको बिता दो