"वीरों का कैसा हो वसंत / सुभद्राकुमारी चौहान" के अवतरणों में अंतर
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प्राची पश्चिम भू नभ अपार; | प्राची पश्चिम भू नभ अपार; | ||
सब पूछ रहें हैं दिग-दिगन्त | सब पूछ रहें हैं दिग-दिगन्त | ||
− | वीरों का | + | वीरों का कैसा हो वसंत |
फूली सरसों ने दिया रंग | फूली सरसों ने दिया रंग | ||
पंक्ति 17: | पंक्ति 17: | ||
वधु वसुधा पुलकित अंग अंग; | वधु वसुधा पुलकित अंग अंग; | ||
है वीर देश में किन्तु कंत | है वीर देश में किन्तु कंत | ||
− | वीरों का | + | वीरों का कैसा हो वसंत |
भर रही कोकिला इधर तान | भर रही कोकिला इधर तान | ||
पंक्ति 23: | पंक्ति 23: | ||
है रंग और रण का विधान; | है रंग और रण का विधान; | ||
मिलने को आए आदि अंत | मिलने को आए आदि अंत | ||
− | वीरों का | + | वीरों का कैसा हो वसंत |
गलबाहें हों या कृपाण | गलबाहें हों या कृपाण | ||
पंक्ति 29: | पंक्ति 29: | ||
हो रसविलास या दलितत्राण; | हो रसविलास या दलितत्राण; | ||
अब यही समस्या है दुरंत | अब यही समस्या है दुरंत | ||
− | वीरों का | + | वीरों का कैसा हो वसंत |
कह दे अतीत अब मौन त्याग | कह दे अतीत अब मौन त्याग | ||
पंक्ति 35: | पंक्ति 35: | ||
ऐ कुरुक्षेत्र अब जाग जाग; | ऐ कुरुक्षेत्र अब जाग जाग; | ||
बतला अपने अनुभव अनंत | बतला अपने अनुभव अनंत | ||
− | वीरों का | + | वीरों का कैसा हो वसंत |
हल्दीघाटी के शिला खण्ड | हल्दीघाटी के शिला खण्ड | ||
पंक्ति 41: | पंक्ति 41: | ||
राणा ताना का कर घमंड; | राणा ताना का कर घमंड; | ||
दो जगा आज स्मृतियां ज्वलंत | दो जगा आज स्मृतियां ज्वलंत | ||
− | वीरों का | + | वीरों का कैसा हो वसंत |
भूषण अथवा कवि चंद नहीं | भूषण अथवा कवि चंद नहीं | ||
पंक्ति 47: | पंक्ति 47: | ||
है कलम बंधी स्वच्छंद नहीं; | है कलम बंधी स्वच्छंद नहीं; | ||
फिर हमें बताए कौन हन्त | फिर हमें बताए कौन हन्त | ||
− | वीरों का | + | वीरों का कैसा हो वसंत |
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12:24, 8 जून 2015 का अवतरण
आ रही हिमालय से पुकार
है उदधि गरजता बार बार
प्राची पश्चिम भू नभ अपार;
सब पूछ रहें हैं दिग-दिगन्त
वीरों का कैसा हो वसंत
फूली सरसों ने दिया रंग
मधु लेकर आ पहुंचा अनंग
वधु वसुधा पुलकित अंग अंग;
है वीर देश में किन्तु कंत
वीरों का कैसा हो वसंत
भर रही कोकिला इधर तान
मारू बाजे पर उधर गान
है रंग और रण का विधान;
मिलने को आए आदि अंत
वीरों का कैसा हो वसंत
गलबाहें हों या कृपाण
चलचितवन हो या धनुषबाण
हो रसविलास या दलितत्राण;
अब यही समस्या है दुरंत
वीरों का कैसा हो वसंत
कह दे अतीत अब मौन त्याग
लंके तुझमें क्यों लगी आग
ऐ कुरुक्षेत्र अब जाग जाग;
बतला अपने अनुभव अनंत
वीरों का कैसा हो वसंत
हल्दीघाटी के शिला खण्ड
ऐ दुर्ग सिंहगढ़ के प्रचंड
राणा ताना का कर घमंड;
दो जगा आज स्मृतियां ज्वलंत
वीरों का कैसा हो वसंत
भूषण अथवा कवि चंद नहीं
बिजली भर दे वह छन्द नहीं
है कलम बंधी स्वच्छंद नहीं;
फिर हमें बताए कौन हन्त
वीरों का कैसा हो वसंत