"गाँधी के प्रति / मुकुटधर पांडेय" के अवतरणों में अंतर
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मुकुटधर पांडेय }} {{KKCatKavita}} <poem> तुम शुद...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 4: | पंक्ति 4: | ||
}} | }} | ||
{{KKCatKavita}} | {{KKCatKavita}} | ||
+ | {{KKAnthologyGandhi}} | ||
<poem> | <poem> | ||
− | तुम शुद्ध बुद्ध की परम्परा में | + | तुम शुद्ध बुद्ध की परम्परा में आये |
− | मानव थे ऐसे, देख कि देव | + | मानव थे ऐसे, देख कि देव लजाये |
भारत के ही क्यों, अखिल लोक के भ्राता | भारत के ही क्यों, अखिल लोक के भ्राता | ||
− | तुम | + | तुम आये बन दलितों के भाग्य विधाता! |
− | तुम समता का संदेश सुनाने | + | तुम समता का संदेश सुनाने आये |
− | भूले-भटकों को मार्ग दिखाने | + | भूले-भटकों को मार्ग दिखाने आये |
− | पशु-बल की बर्बरता की दुर्दम | + | पशु-बल की बर्बरता की दुर्दम आंधी |
− | पथ से न तुम्हें निज डिगा सकी हे गाँधी ! | + | पथ से न तुम्हें निज डिगा सकी हे गाँधी! |
जीवन का किसने गीत अनूठा गाया | जीवन का किसने गीत अनूठा गाया | ||
इस मर्त्यलोक में किसने अमृत बहाया | इस मर्त्यलोक में किसने अमृत बहाया | ||
गूँजती आज भी किसकी प्रोज्वल वाणी | गूँजती आज भी किसकी प्रोज्वल वाणी | ||
− | कविता-सी सुन्दर सरल और कल्याणी ! | + | कविता-सी सुन्दर सरल और कल्याणी! |
हे स्थितप्रज्ञ, हे व्रती, तपस्वी त्यागी | हे स्थितप्रज्ञ, हे व्रती, तपस्वी त्यागी | ||
हे अनासक्त, हे भक्त, विरक्त विरागी | हे अनासक्त, हे भक्त, विरक्त विरागी | ||
− | हे सत्य-अहिंसा-साधक, हे | + | हे सत्य-अहिंसा-साधक, हे सन्यासी |
− | हे राम-नाम आराधक दृढ़ विश्वासी ! | + | हे राम-नाम आराधक दृढ़ विश्वासी! |
− | हे धीर-वीर- | + | हे धीर-वीर-गंभीर, महामानव हे |
− | हे प्रियदर्शन, जीवन दर्शन, अभिनव | + | हे प्रियदर्शन, जीवन दर्शन, अभिनव है |
− | घन अंधकार में बन प्रकाश तुम | + | घन अंधकार में बन प्रकाश तुम आये |
− | कवि कौन, तुम्हारे जो समग्र गुण | + | कवि कौन, तुम्हारे जो समग्र गुण गाये? |
+ | |||
+ | '''-पूर्णा''' | ||
</poem> | </poem> |
17:20, 17 जून 2015 के समय का अवतरण
तुम शुद्ध बुद्ध की परम्परा में आये
मानव थे ऐसे, देख कि देव लजाये
भारत के ही क्यों, अखिल लोक के भ्राता
तुम आये बन दलितों के भाग्य विधाता!
तुम समता का संदेश सुनाने आये
भूले-भटकों को मार्ग दिखाने आये
पशु-बल की बर्बरता की दुर्दम आंधी
पथ से न तुम्हें निज डिगा सकी हे गाँधी!
जीवन का किसने गीत अनूठा गाया
इस मर्त्यलोक में किसने अमृत बहाया
गूँजती आज भी किसकी प्रोज्वल वाणी
कविता-सी सुन्दर सरल और कल्याणी!
हे स्थितप्रज्ञ, हे व्रती, तपस्वी त्यागी
हे अनासक्त, हे भक्त, विरक्त विरागी
हे सत्य-अहिंसा-साधक, हे सन्यासी
हे राम-नाम आराधक दृढ़ विश्वासी!
हे धीर-वीर-गंभीर, महामानव हे
हे प्रियदर्शन, जीवन दर्शन, अभिनव है
घन अंधकार में बन प्रकाश तुम आये
कवि कौन, तुम्हारे जो समग्र गुण गाये?
-पूर्णा