भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"जब मैं तेरा गीत लिखने लगी /अमृता प्रीतम" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अमृता प्रीतम |संग्रह= }} Category:कविता <poem> मेरे शहर न...)
 
 
(3 सदस्यों द्वारा किये गये बीच के 3 अवतरण नहीं दर्शाए गए)
पंक्ति 4: पंक्ति 4:
 
|संग्रह=
 
|संग्रह=
 
}}
 
}}
[[Category:कविता]]
+
[[Category:पंजाबी भाषा]]
<poem>  
+
{{KKCatKavita}}
 +
<poem>
 
मेरे शहर ने जब तेरे कदम छुए
 
मेरे शहर ने जब तेरे कदम छुए
 
सितारों की मुठियाँ भरकर
 
सितारों की मुठियाँ भरकर
पंक्ति 15: पंक्ति 16:
  
 
जब मैं तेरा गीत लिखने लगी
 
जब मैं तेरा गीत लिखने लगी
काग़ज़ के उपर उभर आयीं
+
काग़ज़ के ऊपर उभर आईं
 
केसर की लकीरें
 
केसर की लकीरें
  
 
सूरज ने आज मेहंदी घोली
 
सूरज ने आज मेहंदी घोली
हथेलियों पर रंग गयी,
+
हथेलियों पर रंग गई,
हमारी दोनो की तकदीरें  
+
हमारी दोनों की तकदीरें  
<poem>
+
</poem>

01:45, 15 जुलाई 2015 के समय का अवतरण

मेरे शहर ने जब तेरे कदम छुए
सितारों की मुठियाँ भरकर
आसमान ने निछावर कर दीं

दिल के घाट पर मेला जुड़ा ,
ज्यूँ रातें रेशम की परियां
पाँत बाँध कर आई......

जब मैं तेरा गीत लिखने लगी
काग़ज़ के ऊपर उभर आईं
केसर की लकीरें

सूरज ने आज मेहंदी घोली
हथेलियों पर रंग गई,
हमारी दोनों की तकदीरें