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"ईश्वरः / कौशल तिवारी" के अवतरणों में अंतर
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16:36, 31 जुलाई 2015 के समय का अवतरण
(1)
ईश्वरः जागर्ति
कृषिक्षेत्रे निदाघकाले
स्कन्धे हलं धृत्वा
स्वपिति च पादपथे
भुजाया उपधानं कृत्वा॥
(2)
ईश्वरः
भवभूतेः छायासीतावदस्ति
यं द्रष्टुं न शक्नोमि
किन्तु समये समये
तस्य कमपि स्पर्शं प्राप्य
मुहुर्मुहुः जीवामि॥
कः आसमहं
वा कोऽहं
न जाने
हे ईश्वर! देहि मे
किमप्यभिज्ञानम्॥
(3)
ईश्वरः
हसति बालमुखे
रोदिति निर्धननेत्रयोः॥
(4)
ईश्वरस्य गवेषणायां
भ्रान्तोऽहम्
अत्र तत्र सर्वत्र,
मठानां गर्भगृहेषु
बुधानां प्रवचनेषु
हिमालयस्य तुंगशिखरेषु
गंगाजलेन पूतासु गुहासु,
अन्ततः-
श्रान्तः क्लान्तो निराशः
प्रत्यावृत्तः स्वगृहं
तदा स्मित ईश्वरो
वृद्धमातुः अश्रुजले
पुत्रस्य हासे
द्वारपार्श्वे स्थिताया भार्यायाः
सिन्दूरे च॥