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"अपनी तो हर आह एक तूफ़ान है / शैलेन्द्र" के अवतरणों में अंतर
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अपनी तो हर आह इक तूफ़ान है | अपनी तो हर आह इक तूफ़ान है | ||
क्या करे वो जान कर अंजान है - | क्या करे वो जान कर अंजान है - | ||
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अपनी तो हर आह इक तूफ़ान है | अपनी तो हर आह इक तूफ़ान है | ||
− | ऊपर | + | ऊपर वाला जानकर अंजान है |
अपनी तो हर आह इक तूफ़ान है | अपनी तो हर आह इक तूफ़ान है | ||
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कानों में कुछ कह दे जो इस दिल को बहला दे | कानों में कुछ कह दे जो इस दिल को बहला दे | ||
ये भी मुशकिल है तो क्या आसान है | ये भी मुशकिल है तो क्या आसान है | ||
− | ऊपर | + | ऊपर वाला जान कर अंजान है ... |
सर पे मेरे तू जो अपना हाथ ही रख दे | सर पे मेरे तू जो अपना हाथ ही रख दे | ||
− | फिर तो भटके राही को मिल | + | फिर तो भटके राही को मिल जाएँगे रस्ते |
दिल की बस्ती बिन तेरे वीरान है | दिल की बस्ती बिन तेरे वीरान है | ||
− | ऊपर | + | ऊपर वाला जानकर अंजान है ... |
दिल ही तो है इस ने शायद भूल भी की है | दिल ही तो है इस ने शायद भूल भी की है | ||
− | + | ज़िन्दगी है भूल कर ही राह मिलती है | |
− | माफ़ कर बन्दा भी इक | + | माफ़ कर बन्दा भी इक इंसान है |
− | ऊपर | + | ऊपर वाला जान कर अंजान है |
अपनी तो हर आह इक तूफ़ान है | अपनी तो हर आह इक तूफ़ान है |
02:51, 3 अगस्त 2015 के समय का अवतरण
अपनी तो हर आह इक तूफ़ान है
क्या करे वो जान कर अंजान है -
ऊपर वाला जान कर अंजान है
अपनी तो हर आह इक तूफ़ान है
ऊपर वाला जानकर अंजान है
अपनी तो हर आह इक तूफ़ान है
अब तो हँसके अपनी भी क़िस्मत को चमका दे
कानों में कुछ कह दे जो इस दिल को बहला दे
ये भी मुशकिल है तो क्या आसान है
ऊपर वाला जान कर अंजान है ...
सर पे मेरे तू जो अपना हाथ ही रख दे
फिर तो भटके राही को मिल जाएँगे रस्ते
दिल की बस्ती बिन तेरे वीरान है
ऊपर वाला जानकर अंजान है ...
दिल ही तो है इस ने शायद भूल भी की है
ज़िन्दगी है भूल कर ही राह मिलती है
माफ़ कर बन्दा भी इक इंसान है
ऊपर वाला जान कर अंजान है
अपनी तो हर आह इक तूफ़ान है