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"ख़ुदा वो वक़्त न लाये / फ़ैज़ अहमद फ़ैज़" के अवतरणों में अंतर
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+ | ख़ुदा वो वक़्त न लाये कि सोग़वार हो तू<br> | ||
सुकूँ की नींद तुझे भी हराम हो जाये<br> | सुकूँ की नींद तुझे भी हराम हो जाये<br> | ||
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ग़मों से आईना-ए-दिल गुदाज़ हो तेरा<br> | ग़मों से आईना-ए-दिल गुदाज़ हो तेरा<br> | ||
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ग़ुरूर-ए-हुस्न सरापा नियाज़ हो तेरा<br> | ग़ुरूर-ए-हुस्न सरापा नियाज़ हो तेरा<br> | ||
− | + | तवील रातों में तू भी क़रार को तरसे<br> | |
तेरी निगाह् किसी ग़मगुसार को तरसे<br> | तेरी निगाह् किसी ग़मगुसार को तरसे<br> | ||
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कोई जबीं न तेरे संग-ए-आस्ताँ पे झुके<br> | कोई जबीं न तेरे संग-ए-आस्ताँ पे झुके<br> | ||
− | + | कि जिंस-ए-इज्ज़-ओ-अक़ीदत से तुझ को शाद करे<br> | |
फ़रेब-ए-वादा-ए-फ़र्द पे अएतमाद् करे<br> | फ़रेब-ए-वादा-ए-फ़र्द पे अएतमाद् करे<br> | ||
− | + | ख़ुदा वो वक़्त न लाये कि तुझ को याद आये<br><br> | |
वो दिल कि तेरे लिये बे-क़रार अब भी है<br> | वो दिल कि तेरे लिये बे-क़रार अब भी है<br> | ||
वो आँख जिस को तेरा इन्तज़ार अब भी है | वो आँख जिस को तेरा इन्तज़ार अब भी है |
00:32, 18 मार्च 2008 का अवतरण
ख़ुदा वो वक़्त न लाये कि सोग़वार हो तू
सुकूँ की नींद तुझे भी हराम हो जाये
तेरी मसर्रत-ए-पैहम तमाम हो जाये
तेरी हयात तुझे तल्ख़ जाम हो जाये
ग़मों से आईना-ए-दिल गुदाज़ हो तेरा
हुजूम्-ए-यास से बेताब होके रह जाये
वफ़ूर-ए-दर्द से सीमाब हो के रह जाये
तेरा शबाब फ़क़त ख़्वाब हो के रह जाये
ग़ुरूर-ए-हुस्न सरापा नियाज़ हो तेरा
तवील रातों में तू भी क़रार को तरसे
तेरी निगाह् किसी ग़मगुसार को तरसे
ख़िज़ाँरसीदा तमन्ना बहार को तरसे
कोई जबीं न तेरे संग-ए-आस्ताँ पे झुके
कि जिंस-ए-इज्ज़-ओ-अक़ीदत से तुझ को शाद करे
फ़रेब-ए-वादा-ए-फ़र्द पे अएतमाद् करे
ख़ुदा वो वक़्त न लाये कि तुझ को याद आये
वो दिल कि तेरे लिये बे-क़रार अब भी है
वो आँख जिस को तेरा इन्तज़ार अब भी है