भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"धूप न निकली आज/ नागेश पांडेय ‘संजय’" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=नागेश पांडेय ‘संजय’ |अनुवादक= |सं...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
04:37, 28 सितम्बर 2015 के समय का अवतरण
धूप न निकली आज,
कहीं बीमार तो नहीं?
सुबह-सुबह आ जाती थी
इतराती-इठलाती थी,
कभी आग बरसाती थी
जो हो, मन को भाती थी।
किए बेतुके काज,
मगर हर बार तो नहीं,
धूप न निकली आज,
कहीं बीमार तो नहीं?
क्यों की आनाकानी है?
कोई कारस्तानी है,
ये इसकी मनमानी है,
या फिर और कहानी है।
मिली सूर्य से कहीं
डाँट-फटकार तो नहीं?
धूप न निकली आज,
कहीं बीमार तो नहीं?