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"यह मन पंछी सा / पृथ्वी पाल रैणा" के अवतरणों में अंतर

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22:27, 4 अक्टूबर 2015 के समय का अवतरण

दिशाहीन यह मन पंछी सा
आस की टहनी पर जब बैठा;
जग मकड़ी के जैसे आकर
पंखों पर इक जाल बुन गया ।
सूरज की सतरंगी किरणें
ख़्वाव दिखा कर चली गईं;
सांझ ढली, सूरज डूबा
मैं जग के हाथों हार गया