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टिल्लू जी के हाथ पड़ गए
मम्मी के दस्ताने,
कुछ भी नहीं समझ में आया
घंटों खींचे-ताने।
पैरों में तो तंग एकदम
हाथों में थे ढीले,
और क्या करें, इसी सोच में
पड़े बिचारे पीले!