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"नाल / जया जादवानी" के अवतरणों में अंतर

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23:48, 15 अक्टूबर 2015 के समय का अवतरण

एक

न मैं गर्भ से बाहर आई
न नाल कटी
न बड़ी हुई कभी
धीरे-धीरे मरते हुए
गर्भ के भीतर
सोचती हूं कि
काश! किसी तरह
किसी योनि से
अपना सपना बाहर फेंक सकती!

दो

जहां भी जाती हूं
खून से लिथड़ी नाल
चली आती है
हे ईश्वर
यह देह कैसी धरती है
एक काटी नहीं कि
दूसरी निकल रही है
मेरे भीतर से...