भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"भर्यो समंदर धूड़ सूं / नीरज दइया" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Neeraj Daiya (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=नीरज दइया |संग्रह= }} Category:मूल राजस्थानी भाषा {{KKCatKa…) |
Neeraj Daiya (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 2: | पंक्ति 2: | ||
{{KKRachna | {{KKRachna | ||
|रचनाकार=नीरज दइया | |रचनाकार=नीरज दइया | ||
− | |संग्रह= | + | |संग्रह=पाछो कुण आसी |
}} | }} | ||
[[Category:मूल राजस्थानी भाषा]] | [[Category:मूल राजस्थानी भाषा]] |
04:21, 22 अक्टूबर 2015 का अवतरण
मन रै पांख्यां लागी
हियै ऊंडी आसा जागी
न्हासतां-न्हासतां
म्हैं कठै-कठै नीं पूग्यो
भळै सामीं ऊभो हो
भर्यो समंदर धूड़ सूं
धोरै माथै
भरमावतो भरम
आस अमर धन म्हारो
भटकूं इण रिंधरोही
मालक! मरणो है मंजूर
पण तिरसायो मत मार!