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"हिंदुस्तान में दो दो हिंदुस्तान दिखाई देते हैं / गुलज़ार" के अवतरणों में अंतर
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दूसरा पैर उठाता है तो रुकता है | दूसरा पैर उठाता है तो रुकता है | ||
फिरका-परस्ती तौहम परस्ती और गरीबी रेखा | फिरका-परस्ती तौहम परस्ती और गरीबी रेखा | ||
− | एक है दौड़ लगाने को | + | एक है दौड़ लगाने को तैयार खड़ा है |
− | ‘अग्नि’ पर रख पर पांव उड़ जाने को | + | ‘अग्नि’ पर रख पर पांव उड़ जाने को तैयार खड़ा है |
हिंदुस्तान उम्मीद से है! | हिंदुस्तान उम्मीद से है! | ||
आधी सदी तक उठ उठ कर हमने आकाश को पोंछा है | आधी सदी तक उठ उठ कर हमने आकाश को पोंछा है | ||
सूरज से गिरती गर्द को छान के धूप चुनी है | सूरज से गिरती गर्द को छान के धूप चुनी है | ||
− | साठ साल आजादी | + | साठ साल आजादी के… हिंदुस्तान अपने इतिहास के मोड़ पर है |
− | अगला मोड़ और ‘मार्स’ पर पांव रखा होगा!! | + | अगला मोड़ और ‘मार्स’ पर पांव रखा होगा...!! |
− | हिन्दोस्तान उम्मीद से है.. | + | हिन्दोस्तान उम्मीद से है... |
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04:36, 24 अक्टूबर 2015 के समय का अवतरण
हिंदुस्तान में दो दो हिंदुस्तान दिखाई देते हैं
एक है जिसका सर नवें बादल में है
दूसरा जिसका सर अभी दलदल में है
एक है जो सतरंगी थाम के उठता है
दूसरा पैर उठाता है तो रुकता है
फिरका-परस्ती तौहम परस्ती और गरीबी रेखा
एक है दौड़ लगाने को तैयार खड़ा है
‘अग्नि’ पर रख पर पांव उड़ जाने को तैयार खड़ा है
हिंदुस्तान उम्मीद से है!
आधी सदी तक उठ उठ कर हमने आकाश को पोंछा है
सूरज से गिरती गर्द को छान के धूप चुनी है
साठ साल आजादी के… हिंदुस्तान अपने इतिहास के मोड़ पर है
अगला मोड़ और ‘मार्स’ पर पांव रखा होगा...!!
हिन्दोस्तान उम्मीद से है...