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"अजीव का पहरा / पारुल पुखराज" के अवतरणों में अंतर

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03:18, 29 अक्टूबर 2015 के समय का अवतरण

एक चित्त के उजाले पर
गिर रहा
उजाला दूजे चित्त का

एक लोक पर
छाया
दूजे लोक की

नींद पर जीव की, अजीव का पहरा

उच्चारता अजानी दिशा में
नाम मेरा
मेरे पूर्वजों का

न जाने
कौन

चेतना
बंधी गाय
रंभा रही