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"या मुझे ज़ोर से सुनाने दे / कांतिमोहन 'सोज़'" के अवतरणों में अंतर

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02:19, 2 नवम्बर 2015 के समय का अवतरण

या मुझे ज़ोर से सुनाने दे ।
या मुझे कुछ क़रीब आने दे ।।

बर्क़ से क्यूँ अभी से सरगोशी<ref>कानाफूसी</ref>
आशियाँ तो मुझे बनाने दे ।

किसलिए इस क़दर निगहबानी<ref>चौकसी</ref>
दिल में कोई ख़राश आने दे ।

या तो कह दे कि खून बहता है
आब है तो मुझे बहाने दे ।

तेरा जाना अजल<ref>मौत</ref> से कम है क्या
मुझको थोड़ा तो होश आने दे ।

हाले-दिल है कोई किताब नहीं
कुछ तो तफ्सील<ref>विस्तार</ref> से सुनाने दे ।।

शब्दार्थ
<references/>