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"जितने भी मयखाने हैं / कुँअर बेचैन" के अवतरणों में अंतर

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19:40, 8 नवम्बर 2015 के समय का अवतरण

जितने भी मयखाने हैं
सब तेरे दीवाने हैं

तेरे चितवन के आगे
सारे तीर पुराने हैं

शमा बुझी उनसे पहले
हैरत में परवाने हैं

जिन्हें न पढ़ पाए हम खुद
हम ऐसे अफ़साने हैं

कैसे खुद को ढूँढोगे
हर मन में तहखाने हैं

वो अपने निकले, जिनको
हम समझे बेगाने हैं