भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"अली मियाँ / अनिरुद्ध उमट" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Neeraj Daiya (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अनिरुद्ध उमट |संग्रह= }} {{KKCatKavita}} <poem> स...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
08:16, 15 नवम्बर 2015 के समय का अवतरण
सीढियों पर चिड़िया के पंख
सूखी हड्डियाँ
लम्बी तानें
इस कदर निश्चल
जैसे
अली मियाँ आने को है
अपनी पतंग पर इन सबको
जगह देने को है
फिर सूखे तालाब में
उड़ाएंगे पतंग
और खुद कट जाएँगे