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"धुँए में कंधा / अनिरुद्ध उमट" के अवतरणों में अंतर

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08:18, 15 नवम्बर 2015 के समय का अवतरण

सपने में वह फोन पर
बता रहा होगा
अपना अधूरा रह गया सपना

उसकी आवाज
दरांती से मेरे सपनों को
काट रही होगी

जब मैं कहूँगा
कल आधी रात बाद
अपने रो पड़ने की बात

तब वह किसी विक्रम-सा
मुझे किसी वैताल-सा कंधे पर लादे
धुँए में विलीन होता
दिखायी देगा।