"दादी ने जब खो खो खेली / प्रभुदयाल श्रीवास्तव" के अवतरणों में अंतर
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=प्रभुदयाल श्रीवास्तव |अनुवादक= |स...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
10:32, 11 दिसम्बर 2015 के समय का अवतरण
हुई देर तक हंसी ठिठोली ,
दादी ने जब खो खो खेली |
दौड़ रही थी दादी आगे ,
पीछे दौड़ी नानी |
नहीं पा सकी नानी उनको ,
लगीं मांगने पानी |
हंसी खूब बच्चों की टोली|
दादी ने जब खो खो खेली |
दादी हारीं नानीं हारीं,
दोनों का दम फूला |
सूज गया दादी का घुटना ,
नानीं जी का कूल्हा |
मोल व्यर्थ में आफत ले ली |
दादी ने जब खो खो खेली|
हाय! बुढ़ापे में मत दौड़ो ,
बच्चे अब समझाते|
कैसे रहना कैसे जीना,
बूढ़ों को सिखलाते |
खाना पड़ी दर्द की गोली ,
दादी ने जब खो खो खेली |