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"शांताकारम भुजंगशयनम / श्लोक" के अवतरणों में अंतर

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श्रीरामचन्द्र कृपालु भजु मन हरण भवभय दारुणम् .
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<P>शांताकारम भुजगशयनम पद्यनाभम् सुरेशम् । विश्‍वाधारं गगन सदृसं मेघवर्णम् शुभांगम् । </P>
नवकञ्ज लोचन कञ्ज मुखकर कञ्जपद कञ्जारुणम् .. १..
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<P>लक्ष्मीकांतम् कमलनयनम् योगीभर्ध्यानगम्यम । वंदे विष्णूम भवभयहरम सर्वलोकैय नाथम ॥</P>
 
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कंदर्प अगणित अमित छबि नव नील नीरज सुन्दरम् .
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पटपीत मानहुं तड़ित रुचि सुचि नौमि जनक सुतावरम् .. २..
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भजु दीन बन्धु दिनेश दानव दैत्यवंशनिकन्दनम् .
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रघुनन्द आनंदकंद कोशल चन्द दशरथ नन्दनम् .. ३..
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सिर मुकुट कुण्डल तिलक चारु उदार अङ्ग विभूषणम् .
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आजानुभुज सर चापधर सङ्ग्राम जित खरदूषणम् .. ४..
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इति वदति तुलसीदास शङ्कर शेष मुनि मनरञ्जनम् .
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मम हृदयकञ्ज निवास कुरु कामादिखलदलमञ्जनम् .. ५..
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19:39, 29 मार्च 2008 का अवतरण

शांताकारम भुजगशयनम पद्यनाभम् सुरेशम् । विश्‍वाधारं गगन सदृसं मेघवर्णम् शुभांगम् ।

लक्ष्मीकांतम् कमलनयनम् योगीभर्ध्यानगम्यम । वंदे विष्णूम भवभयहरम सर्वलोकैय नाथम ॥